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उधवा झील पक्षी आश्रयाणी पहुँचे वेटलैंड इकोलॉजी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गोल्डिन क्वाड्रस, विकास पर हुई विस्तृत चर्चा

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उधवा झील पक्षी आश्रयाणी पहुँचे वेटलैंड इकोलॉजी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गोल्डिन क्वाड्रस, विकास पर हुई विस्तृत चर्चा

 

 

साहिबगंज: प्रसिद्ध वेटलैंड इकोलॉजिस्ट एवं सीनियर साइंटिस्ट डॉ. गोल्डिन क्वाड्रस ने शनिवार को झारखंड के एकमात्र रामसर साइट – उधवा झील पक्षी आश्रयाणी का भ्रमण किया। यह आश्रयाणी अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमियों में गिनी जाती है जो प्रवासी पक्षियों की प्रमुख आश्रय स्थली है।इस अवसर पर डॉ. क्वाड्रस ने आश्रयणी क्षेत्र का निरीक्षण किया और जैव विविधता, जल गुणवत्ता, एवं प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति की स्थिति का आकलन किया। उन्होंने कहा कि उधवा झील जैसी आर्द्रभूमियाँ पारिस्थितिक संतुलन और जलवायु नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और इसका संरक्षण सामूहिक ज़िम्मेदारी है।

उधवा बर्ड सैंक्चुअरी के संरक्षण एवं विकास को लेकर एक विशेष बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री प्रबल गर्ग, रेंजर श्री पंचम दुबे, एवं वन रक्षकों की उपस्थिति रही। बैठक में उधवा पक्षी आश्रयणी के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, ईको-टूरिज़्म को बढ़ावा देने, स्थानीय समुदाय की सहभागिता, तथा अवैध गतिविधियों की रोकथाम जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा की गई।डॉ. क्वाड्रस ने सुझाव दिया कि झील क्षेत्र की नियमित मॉनिटरिंग, पक्षी गणना, और जल गुणवत्ता परीक्षण की प्रणाली को और अधिक वैज्ञानिक आधार पर किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने झील के चारों ओर अवस्थित गाँवों के लोगों को जागरूक कर उनके साथ मिलकर संरक्षण कार्यों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।डीएफओ श्री प्रबल गर्ग ने आश्वस्त किया कि विभाग उधवा झील पक्षी आश्रयाणी के समुचित विकास के लिए प्रतिबद्ध है और विशेषज्ञों से मिलकर एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।यह भ्रमण न केवल उधवा झील के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे वैज्ञानिकों और वन विभाग के सहयोग से जैविक धरोहरों को संरक्षित किया जा सकता है।

 

ब्यूरो रिपोर्ट

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